Vinod Bhardwaj
अक्टूबर 1948 में जन्मे विनोद भारद्वाज ने लखनऊ विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एम.ए. किया और पच्चीस साल टाइम्स ऑफ़ इंडिया के धर्मयुग, दिनमान तथा नवभारत टाइम्स जैसे हिंदी प्रकाशनों में पत्रकारिता की। 1967 से 1969 तक उन्होंने कविता और कला की चर्चित लघुपत्रिका आरम्भ का नरेश सक्सेना और जयकृष्ण के सहयोग से संपादन किया। प्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय ने उन्हें पत्रकारिता में आने के लिए प्रेरित किया और दिनमान में सहाय के संपादन में कई साल काम करना उनके लिए एक बड़ा और निर्णायक अनुभव साबित हुआ। 1981 में विनोद को वर्ष की श्रेष्ठ कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल स्मृति प्रतिष्ठित पुरस्कार और 1982 में श्रेष्ठ सर्जनात्मक लेखन के लिए संस्कृति पुरस्कार मिला। विनोद ने चालीस साल तक लगातार फिल्म और कला पर लिखा है, कलाकारों पर फिल्में बनाई हैं और दूरदर्शन के लिए चेखोव की कहानी पर आधारित टेलीफिल्म दुखवा मैं कासे कहूं और लघु धारावाहिक मछलीघर भी लिखा है। कला और सिनेमा पर कई किताबों के अलावा 1980 में पहला कविता संग्रह, जलता मकान, छपा और 1990 में दूसरा संग्रह, होशियारपुर, छपा। बाद की कविताएं इस नए संग्रह, होशियारपुर और अन्य कविताएं, में पहले दोनों संग्रहों सहित शामिल हैं। एक कहानी संग्रह, चितेरी, के अलावा सेप्पुकु और सच्चा झूठ उपन्यास भी प्रकाशित हो चुके हैं। हार्पर कॉलिंस ने सेप्पुकु का ब्रज शर्मा द्वारा किया अंग्रेज़ी अनुवाद छापा है। वे जल्द ही सच्चा झूठ का अंग्रेज़ी अनुवाद भी छाप रहे हैं। इन दिनों विनोद भारद्वाज इस उपन्यास त्रयी का अंतिम भाग लिख रहे हैं। विनोद की कविताओं के अनुवाद अंग्रेज़ी, जर्मन, रूसी, पंजाबी, उर्दू, मराठी और बांग्ला में हो चुके हैं। इन दिनों दिल्ली में रहकर आर्ट क्यूरेटर के रूप में सक्रिय हैं।